2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav Chapter 17 भारत की धरती

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Karnataka 2nd PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Gaurav Chapter 17 भारत की धरती

भारत की धरती Questions and Answers, Notes, Summary

I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
राम-कृष्ण की जन्म भूमि मन में क्या भरती है?
उत्तर:
राम-कृष्ण की जन्म-भूमि मन में मुद-मंगल भरती है।

प्रश्न 2.
माखन का भोग कौन लगाते हैं?
उत्तर:
माखन का भोग कृष्ण कन्हैया लगाते हैं।

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प्रश्न 3.
भजनभाव में किसकी वाणी जैसा धीर है?
उत्तर:
भजनभाव में गुरु नानक की वाणी जैसा धीर है।

प्रश्न 4.
हरा-भरा हरियाणा किनका स्थल है?
उत्तर:
हरा-भरा हरियाणा अर्जुन, भीम और युधिष्ठिर का स्थल है।

प्रश्न 5.
इन्द्रपुरी किसके सामने पानी भरती है?
उत्तर:
इन्द्रपुरी इन्द्रप्रस्थ के सामने पानी भरती है।

प्रश्न 6.
राणा की हुंकार कहाँ सुनी जा सकती है?
उत्तर:
राणा की हुंकार राजस्थान में सुनी जा सकती है।

प्रश्न 7.
पितरों का तर्पण किस भूमि में होता है?
उत्तर:
पितरों का तर्पण बिहार की भूमि में होता है।

प्रश्न 8.
तमिलनाडु में रामायण का ज्ञान कौन दे रहा है?
उत्तर:
तमिलनाडु में रामायण का ज्ञान कम्ब दे रहा है।

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प्रश्न 9.
भारतीयता कहाँ बहु रूप में संवरती है?
उत्तर:
भारतीयता कन्नड़ नाडू में बहु रूपों में सँवरती है।

प्रश्न 10.
कर्नाटक में किस महाकवि के दर्शन कर सकते हैं?
उत्तर:
कर्नाटक में पंप महाकवि के दर्शन कर सकते हैं।

अतिरिक्त प्रश्न :

प्रश्न 1.
भारत की यह भूमि किसका दर्प-दलन करती है?
उत्तर:
भारत की यह भूमि कंस और रावण का दर्प-दलन करती है।

प्रश्न 2.
हमारे मस्तक को किसने ऊँचा किया है?
उत्तर:
हमारे मस्तक को हिमालय ने ऊँचा किया है।

प्रश्न 3.
अपने बल पर कौन अड़ा है?
उत्तर:
अपने बल पर पंजाब केसरी अड़ा है।

प्रश्न 4.
सरस्वती सरिता तट किसका उद्गाता है?
उत्तर:
सरस्वती सरिता तट वैदिक मंत्रों का उद्गाता है।

प्रश्न 5.
स्वाभिमान से ऊँचे मस्तक क्या नहीं हो सकते?
उत्तर:
स्वाभिमान से ऊँचे मस्तक झुकते नहीं, कट सकते हैं।

प्रश्न 6.
युद्ध क्षेत्र में कौन डट कर लड़ते रहे?
उत्तर:
युद्ध क्षेत्र में गोरा और बादल डट कर लड़ते रहे।

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प्रश्न 7.
विश्वगुरु कौन कहलाते हैं?
उत्तर:
नालन्दा-वैशाली विश्वगुरु कहलाते हैं।

प्रश्न 8.
महाराष्ट्र में मरहठे किसके कृत्यों के गायक हैं?
उत्तर:
महाराष्ट्र में मरहठे शिवाजी के कृत्यों के गायक है।

प्रश्न 9.
कर्नाटक में किसकी शीतल मंद सुगंध विचरती है?
उत्तर:
कर्नाटक में मलयज शीतल मंद सुगंध विचरती है।

प्रश्न 10.
विश्व ने किसकी शक्ति मानी है?
उत्तर:
विश्व ने टीपू सुल्तान की शक्ति मानी है।

प्रश्न 11.
कर्नाटक में किसके बलिदानों की एक कहानी है?
उत्तर:
कर्नाटक में रानी चेन्नमा के बलिदानों की एक कहानी है।

प्रश्न 12.
कर्नाटक की परम पुनीत नदी कौन-सी है?
उत्तर:
कर्नाटक की परम पुनीत नदी कावेरी है।

प्रश्न 13.
भारत माता की धरती किसकी धरती है?
उत्तर:
भारत माता की धरती वीरों और संतों की धरती है।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
‘मानव’ ने उत्तर प्रदेश की किन विशेषताओं का वर्णन किया है?
उत्तर:
डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ भारत की धरती का वर्णन करते हुए उत्तर प्रदेश की विशेषताओं के बारे में बताते हैं कि उत्तर में उत्तर प्रदेश, काशी, प्रयाग, हरिद्वार जैसे पुण्य स्थल हैं। मल्लिक मुहम्मद जायसी, कबीर, तुलसीदास के उद्गार यहीं पर मिलते हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे तीर्थस्थल यहीं पर स्थित हैं। कृष्ण-कन्हैया की भूमि यहीं पर है। रावण, कंस जैसे दुष्ट राक्षसों का नाश इसी भूमि पर हुआ है। इस प्रकार कवि ने उत्तर प्रदेश को वीरों, सन्तों की भूमि कहा है।

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प्रश्न 2.
पंजाब केसरी की महत्ता प्रकट कीजिए।
उत्तर:
हमारे भारतवर्ष की उत्तरी सीमा पर विशाल हिमराज हिमालय खड़ा है। उसकी तराई में पंजाब अपने में अति उर्वरक एवं उपजाऊ भूमि है। जिसके बल पर हिमालय पर्वत ऊँचा मस्तक किए खड़ा हुआ है, वह पंजाब केसरी अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ वीर सिक्खों ने जन्म लिया है। तेज बहादूर की वीरता व रणकौशल तथा गुरुनानक की संत वाणी सबको मोह लेती है। इस धरती की गर्जना से सारे जगत की गर्जना होती है।

प्रश्न 3.
हरियाणा की सांस्कृतिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ ने ‘भारत की धरती’ कविता में भारत के विभिन्न प्रान्तों की विशेषताओं का वर्णन किया है। हरियाणा के बारे में वे कहते हैं – हरित भरित हरियाणा की संस्कृति बहुत ही प्राचीन है। यहीं पर अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर आदि महापुरुषों की क्रीडास्थली है। यहीं पर कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध में कौरव-पाण्डवों ने भाग लिया। ‘भगवद्गीता’ के श्लोक यहीं पर श्रीकृष्ण के मुख से सुनाये गये। यहाँ धर्म-कर्म-संस्कृति-सभ्यता-बल-पौरुष का संबल है। यहाँ इन्द्रप्रस्थ के सम्मुख इन्द्रपुरी भी पानी भरती है।

प्रश्न 4.
राजस्थान की वीरता के संबंध में ‘मानव’ के क्या विचार हैं?
उत्तर:
कवि मानव कह रहे है राज्यस्थान की हल्दीघाटी जहाँ पर आप राजपुत राणाओं की हुंकार सुन सकते है। वहाँ के चट्टान पर राणाकी तलवार खनकी है। पुरा राजस्थान उनके शौर्य, वीरता की कहानियों से भरा पड़ा है। राजपुत लोग जो वचन निभाना बखूबी जानते थे, कभी उन्होने दुश्मनोंको अपनी पीठ नही दिखाई। वतन के लिए मर जानेवाले वीरोंकी भूमि है राजस्थान वहाँ पर सिर्फ मर्द ही नही पर उन महान राजपुतानीयों की कहानियाँ ‘सेनाणी’ ‘जौहर’ की कथा सबने सुनी है। ऐसी वीरों की वह घरती है।

प्रश्न 5.
बिहार राज्य की भव्यता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बिहार की भूमि में पितरों का तर्पण होता है। यहीं पर जयप्रकाश नारायण जिन्हें प्यार से लोग जे.पी. कहते थे, उनकी मध्यस्थता, विचारों से प्रभावित होकर डाकू लोग भी आत्म-समर्पण कर देते थे। यहीं पर विश्वविख्यात नालंदा, वैशाली विश्वविद्यालय हैं। गौतम बुद्ध, महावीर आदि ने यहीं पर अपने उपदेशों से लोगों को प्रभावित किया। इस प्रदेश में नूतनता नित्य उभरती है।

प्रश्न 6.
दक्षिण प्रदेश की महत्ता को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘मानव’ जी ने ‘भारत की धरती’ कविता में भारत के विभिन्न प्रांतों का वर्णन किया है। दक्षिण के प्रदेशों को उन्होंने रत्नों की खान कहा है। तमिलनाडु में कम्ब ने रामायण का ज्ञान दिया। केरल और आंध्रप्रदेश सभ्यता, संस्कृति और धर्म के विधायक हैं। महाराष्ट्र में वीर शिवाजी का गुणगान होता है। कर्नाटक में कावेरी नदी बहती है। यहीं पर टीपू और रानी चेन्नम्मा के बलिदानों की कहानियाँ मिलती हैं तो दूसरी ओर बसवेश्वर, अक्कमहादेवी, रामानुज जैसे संतों ने अपने ज्ञान से संसार को प्रकाशित किया। इस प्रकार दक्षिण प्रदेश धर्म-कर्म, साहित्य-कला, संस्कृति आदि का पालन करनेवाला प्रदेश है।

प्रश्न 7.
कर्नाटक के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति के संबंध में ‘मानव’ के क्या उद्गार हैं?
उत्तर:
कर्नाटक की गौरव गाथा गाते हुए कवि मानव कह रहे हैं कि दुनिया भर में माथा ऊँचा करनेवाले टीपू सुलतान की वीरता, अपने बलिदान के लिए प्रसिद्ध रानी चेन्नम्मा इस धरती की देन है। प्रकृति का सुंदर रूप यहाँ देखने को मिलता है। ऐतिहासिक घटनाओं का प्रमुख क्रीडास्थल यह कर्नाटक ही है। भारतीयता कन्नड़ नाडू में बहु रूपों में संवरती है। कर्नाटक में कावेरी नदी बहती है। यहाँ के बसवेश्वर, अक्कमहादेवी, रामानुज जैसे संतों ने अपने ज्ञान से संसार को प्रकाशि किया है। इस प्रकार धर्म, कला एवं संस्कृति का आराधना का केन्द्र है कर्नाटक।

III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए :

प्रश्न 1.
वेद और उपनिषद् ज्ञान गीता का तत्व प्रदाता है।
सरस्वती सरिता तट वैदिक मन्त्रों का उद्गाता है।
हरित-भरित हरियाणा, अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर का स्थल है।
धर्म-कर्म-संस्कृति-सभ्यता, बल-पौरुष का सम्बल है।
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरवं’ के ‘भारत की धरती’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ हैं।

संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने भारत के हरियाणा प्रांत के गौरवमयी इतिहास और सांस्कृतिक विशेषताओं का वर्णन किया है।

भाव स्पष्टीकरण : कवि हरियाणा प्रदेश की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहते हैं कि यह प्रदेश वेद, उपनिषद् ज्ञानगीत के तत्वों का प्रदाता है। सरस्वती नदी के तट वैदिक मंत्रों का उद्गाता है। हरा-भरा यह हरियाणा अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर का स्थल है। धर्म-कर्म-संस्कृति-सभ्यता का बल-पौरुष है।

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प्रश्न 2.
परम पुनीत नीर कावेरी, मस्तक धर कर्नाटक में।
पम्प महकवि के दर्शन, कर लो चलकर कर्नाटक में॥
बसवेश्वर या अक्कमहादेवी कर्नाटक में गाते।
रामानुज आचार्य ‘मेलकोटे’ में दर्शन दे जाते॥
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भारत की धरती’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ हैं।

संदर्भ : भारत देश की महानता एवं उसमें कर्नाटक प्रांत की विशेषता का वर्णन इसमें देखने को मिलता है।

भाव स्पष्टीकरण : कर्नाटक प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है जिसकी अपनी विशेषता है। यहाँ परम पवित्र नदी माता कावेरी पूरे प्रदेश को पानी देते हुए प्रवाहित है। ‘पम्प रामायण’ इस प्रांत की अनुपम रचना है जिसे पम्प महाकवि ने लिखा और सबको ज्ञान प्रदान कर रहा है। महात्मा बसवेश्वर का ‘कायक’ सिद्धान्त एवं अक्कमहादेवी का निष्कल्मष भक्ति सिद्धान्त यहीं पर मिलते हैं। ‘विशिष्टाद्वैत सिद्धान्त’ के जनक श्री रामानुजाचार्य कर्नाटक के मेलकोटे में दर्शन देते हैं। इस प्रकार धर्म, कला एवं संस्कृति का आराधना केन्द्र है कर्नाटक प्रदेश।

विशेष : कर्नाटक की महत्ता का वर्णन इसमें हुआ है।

प्रश्न 3.
क्रीड़ास्थली प्रकृति की कर्नाटक गौरव की गाथा है
भारत का सौभाग्य, विश्व भर का यह उन्नत माथा है।
टीपू से सुलतान, विश्व ने जिनकी शक्ति मानी है।
रानी चेन्नम्मा के बलिदानों की एक कहानी है।
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भारत की धरती’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ हैं।

संदर्भ : भारत की महत्ता का वर्णन करते हुए कर्नाटक प्रान्त की विशेषता यहाँ वर्णित है।

भाव स्पष्टीकरण : कर्नाटक राज्य जो भारत का अभिन्न अंग है उसके बारे में कवि कहते हैं- यहाँ की प्रकृति रमणीय है। यह भारत का सौभाग्य है। विश्व भर में इसकी गौरव गाथा गायी जाती है। टीपू सुल्तान, रानी चेन्नम्मा जैसे महान शूर-वीरों ने देश के लिए बलिदान दिया है। .

विशेष : कर्नाटक की भव्यता का हृदयस्पर्शी चित्रण है।

अतिरिक्त प्रश्न :

प्रश्न 1.
उत्तर में उत्तर प्रदेश, काशी, प्रयाग, हरिद्वार जहाँ।
मलिक मुहम्मद के, कबीर के, तुलसी के उद्गार जहाँ।
बद्रीनाथ, केदारनाथ-से, तीर्थों का यह स्थल पावन
माखन भोग लगाने वाला, कृष्ण कन्हैया मनभावन॥
उत्तर:
प्रसंग : प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘भारत की धरती’ नामक आधुनिक कविता से लिया गया है, जिसके रचयिता डॉ. पुण्यमचन्द ‘मानव’ हैं।

संदर्भ : प्रस्तुत कविता में कवि ने भारत की गौरवशाली संस्कृति का यशोगान किया है।

भाव स्पष्टीकरण : कवि उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक, साहित्यिक विशेषताओं का बखान करते हुए कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में हमारे सांस्कृतिक, धार्मिक महत्त्व के केंद्र, काशी, प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार स्थित है। वहीं यह साहित्य मनीषियों से भी उर्वर रही है। यहाँ मलिक मुहम्मद जायसी’, कबीर एवं तुलसी दास हुए हैं। भक्ति आंदोलन के यह श्रेष्ठ रचनाकार है जिनके पद आज भी घर घर में गाए जाते हैं। यह धरती बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे तीर्थों का स्थान है। कृष्ण की नगरी मथुरा भी इसी प्रांत में स्थित है। मथुरा का नाम सुनते ही मनभावन कृष्ण कन्हैया की छवि मस्तिष्क में तैर जाती है। कृष्ण की बाललीलाओं का क्रीडास्थल यही उत्तर प्रदेश की धरती है।

विशेष : खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग। भारत-महिमा का वर्णन किया गया है।

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भारत की धरती कवि परिचय :

कवि पुण्यमचन्द ‘मानव’ का जन्म 24 फरवरी 1932 ई. में भिवानी (हरियाणा) में हुआ। आपने उच्च शिक्षा प्राप्ति के उपरांत 1954 ई. से 1964 ई. तक वैश्य हायर सेकंडरी स्कूल, भिवानी तथा 1964 ई. से 1989 तक राष्ट्रीय मिलिटरी स्कूल, बेंगलूर में हिन्दी प्राध्यापक के पद पर कार्य किया। आपका जीवन संघर्षपूर्ण रहा। आपने समाज के प्रति अपने दायित्व को निष्ठापूर्वक निभाते हुए उच्च कोटि की साहित्य साधना की है। आपके शोध प्रबंध ‘हिन्दी लावणी साहित्य पर हिन्दी संत-साहित्य का प्रभाव’ पर कर्नाटक सरकार द्वारा 1972 ई. में विशेष सम्मान एवं नकद पुरस्कार तथा विधान सभा के विशेष समारोह में सम्मानित किया गया। आपको हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा साहित्य सेवा के लिए हरियाणा गौरव सम्मान 2011′ से अलंकृत किया गया।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘वैदिक पथ प्रदर्शक’, ‘मधुप्याला’, ‘राष्ट्रपूजा’, ‘जीवन गीत’, ‘काव्यांजलि’ आदि।
प्रस्तुत कविता ‘भारत की धरती’, ‘काव्यांजलि’ से चयनित है।

भारत की धरती कविता का आशय :

प्रस्तुत कविता में कवि ने भारत के विभिन्न प्रान्तों के गौरवशाली इतिहास का तथा भारतीय संस्कृति का सुन्दर वर्णन किया है। सांस्कृतिक परिचय के साथ ही साथ कर्नाटक के प्रति गौरवपूर्ण भावनाओं को कविता रूपी माला में पिरोने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।

भारत की धरती कविता का भावार्थ :

1) भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।
राम-कृष्ण की जन्मभूमि, मन में मुद-मंगल भरती है।
उत्तर में उत्तर प्रदेश, काशी, प्रयाग, हरिद्वार जहाँ।
मलिक मुहम्मद के, कबीर के, तुलसी के उद्गार जहाँ।
बद्रीनाथ, केदारनाथ-से, तीर्थों का यह स्थल पावन
माखन भोग लगाने वाला, कृष्ण कन्हैया मनभावन॥
यही भूमि रावण-कंसों के दर्प-दलन भी करती है….
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।

भारत की यह धरती वीरों, संतों, राम-कृष्ण की जन्मभूमि है और मन को आनंदित करती है। उत्तर प्रदेश में काशी, प्रयाग, हरिद्वार, बद्रीनाथ, केदारनाथ जैसे पुण्यक्षेत्र हैं तो वहाँ मलिक मुहम्मद, कबीर, तुलसी के उद्गार भी हुए। कृष्ण की क्रीडास्थली यही है। वीरों व संतों की धरती भी यही है।

2) मस्तक ऊँचा किए हिमालय, जिसके बल पर खड़ा हुआ।
यह पंजाब केसरी है, अपने ही बल पर अड़ा हुआ॥
रण में तेग बहादुर जिसका बच्चा-बच्चा वीर है।
भजनभाव में गुरु नानक की वाणी जैसा धीर है॥
जिस धरती की गर्जन से, जगती की गर्जन डरती है…
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।

भारत के मस्तक पर हिमालय खड़ा है, पंजाब केसरी, तेग बहादुर, गुरु नानक आदि की अमरवाणी यहीं सुनी गई। जिस धरती की गर्जना से जगत की गर्जना डरती है, उन वीर संतों की यह धरती है।

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3) वेद और उपनिषद् ज्ञान गीता का तत्व प्रदाता है।
सरस्वती सरिता तट वैदिक मन्त्रों का उद्गाता है।
हरित-भरित हरियाणा, अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर का स्थल है।
धर्म-कर्म-संस्कृति-सभ्यता, बल-पौरुष का सम्बल है।
इन्द्रप्रस्थ के सम्मुख इन्द्रपुरी भी पानी भरती है
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।

वेद, उपनिषद, गीता का ज्ञान देनेवाला हरित-भरित हरियाणा, सरस्वती नदी के किनारे वैदिक मंत्रों का उद्गाता, अर्जुन, भीम, युधिष्ठिर, धर्म-कर्म, बल-पौरुष की धरती, इन्द्रप्रस्थ की यह पावन धरती देखते ही बनती है।

4) राजस्थान चलो तो सुन लो, राणा की हुंकार यहाँ।
हल्दी घाटी की चट्टानों पर खनकी तलवार जहाँ,
स्वाभिमान से ऊँचे मस्तक, झुके नहीं, कट सकते हैं।
युद्धक्षेत्र में, गोरा बादल, कट कर भी डट सकते हैं।
जहाँ वीरता, ‘सेनाणी’ ‘जौहर’ की कीर्ति निखरती है…
भारतमाता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।

राजस्थान में राणा की हुंकार, हल्दीघाटी का युद्ध, गोरा बादल, सेनाणी, जौहर की की पताका फहराने वाले राजस्थान की धरती है।

5) यह बिहार की भूमि, जहाँ पितरों का तर्पण होता है।
जे-पी-के इंगित से दस्यु-आत्म-समर्पण होता है।
विश्वगुरु कहलाने वाले, नालन्दा-वैशाली हैं।
गौतम, महावीर ने अपनी परम्पराएँ पाली हैं।
शान्त-क्रान्त दृष्टा प्रदेश, नूतनता नित्य उभरती है…
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।

यह बिहार की भूमि, जहाँ पितरों का तर्पण होता है, जे.पी. के सम्मुख डाकुओं का समर्पण, नालन्दा-वैशाली, गौतम-महावीर की परंपरा पाली हैं।

6) दक्षिण चरण पखारे रत्नाकर रत्नों की खान है।
तमिलनाडु में कम्ब दे रहा रामायण का ज्ञान है।
केरल, आन्ध्रप्रदेश, सभ्यता, संस्कृति, धर्म विधायक हैं।
महाराष्ट्र मरहठे शिवाजी के कृत्यों के गायक हैं।
कर्नाटक की मलयज शीतल मन्द सुगन्ध विचरती है।
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।

दक्षिण में सागर भारतमाता के चरणों को धोता, तमिलनाडु में कम्ब रामायण, केरल, आन्ध्र की सभ्यता निराली, महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की शौर्यगाथा, कर्नाटक में मलयागिरी की शीतल, मंद, सुगंधित वायु विचरण करती है।

7) क्रीड़ास्थली प्रकृति की कर्नाटक गौरव की गाथा है
भारत का सौभाग्य, विश्व भर का यह उन्नत माथा है।
टीपू से सुलतान, विश्व ने जिनकी शक्ति मानी है।
रानी चेन्नम्मा के बलिदानों की एक कहानी है।
भारतीयता कन्नड नाडू में बहु रूप सँवरती है….
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।

प्रकृति की क्रीड़ास्थली कर्नाटक की गौरव-गाथा का तो कहना ही क्या! टीपू सुल्तान, रानी चेन्नम्मा के बलिदानों की कहानी, कन्नड़ नाडु की गौरव गाथा एवं सौंदर्य सर्व-विदित है।

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8) परम पुनीत नीर कावेरी, मस्तक धर कर्नाटक में।
पम्प महकवि के दर्शन, कर लो चलकर कर्नाटक में॥
बसवेश्वर या अक्कमहादेवी कर्नाटक में गाते।
रामानुज आचार्य ‘मेलकोटे’ में दर्शन दे जाते॥
धर्म-कर्म साहित्य-कला, संस्कृति का यह अनुवरती है…
भारत माता की धरती, वीरों, सन्तों की धरती है।

पावन कावेरी की जलधारा, पम्प महाकवि के दर्शन, बसवेश्वर- अक्कमहादेवी के वचन, रामानुजाचार्य जी का ‘मेलकोटे’ का दर्शन, धर्म-संस्कृति, कला-संगीत कि यह कर्नाटक भूमि, भारतमाता की यह धरती, वीरों व सन्तों की धरती है।

भारत की धरती Summary in Kannada

भारत की धरती Summary in Kannada 1
भारत की धरती Summary in Kannada 2
भारत की धरती Summary in Kannada 3

भारत की धरती Summary in English

In this poem, the poet Dr. Punyamchand ‘Manar’ has described the proud history of the various regions of India and also given beautiful descriptions of the various Indian cultures and traditions.

The land of India is the birthplace of many brave warriors, great saints, even Lord Rama and Lord Krishna themselves. This land gives great pleasure to the mind. Uttar Pradesh is home to many sacred sites such as Kashi, Prayag, Haridwar, Badrinath, Kedarnath (the latter three are part of present-day Uttarakhand state). Even the voices of great poets, saints and thinkers such as Malik Mohammed, Kabir, and Tulsidas have been born and heard in this state. It is also the birthplace of Lord Krishna. It is also the land of brave warriors and great saints.

On the forehead of India stand the Himalayas. The voices of Punjab Kesari, Tegh Bahadur, and Guru Nanak were heard in this region. This whole world fears the roar of this land (India). Such is this land – the homeland of saints and brave warriors.

The green and nurturing environment of Haryana has given us great epics and texts such as the Vedas, the Upanishads, and the Bhagavad Gita. On the banks of river Saraswati, the chants of Vedic priests is heard. This is the land of Arjuna, Bhima, and Yudhistira. This is the land of Dharma and Karma, of ancient traditions and etiquette. It is the land of Indraprastha.

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In Rajasthan, one can hear the roar of the Ranas and the clanging of the swords on the rocks of Haldighati. It was here that Rana Pratap fought bravely against the Mughal Emperor Akbar.

This is the land of white clouds, of Senani (Rajput warriors) and Jauhar (the act of self-immolation when a battle was lost). Such is the land of Rajasthan.

The land of Bihar is the land where our deceased ancestors are provided gratification. It was here that dacoits surrendered due to the efforts of J.P. (Jaya Prakash Narayan). This is the land of the great ancient universities of Nalanda and Vaishali. It is the land of Gautama Buddha and Mahaveer Jain.

In the south, the seas wash the feet of India. Tamil Nadu’s Kamba Ramayan (a version of the epic Ramayana written by the Tamil poet Kamban), and the beautiful and diverse culture of Kerala and Andhra, the heroism of Chhatrapati Shivaji of Maharashtra, the serene, calm, and sweet atmosphere of Malayagiri in Karnataka are all very inviting.

What can be said about the pride and respect of the home of nature, Karnataka? It is the land where Tipu Sultan and Rani Chennamma made great sacrifices, and their stories still reverberate among the land. The beauty, pride, and respect of the land of Kannada is unparalleled.

The calm water flow of the river Cauvery, the home of Pampa Mahakavi, the vachanas of Basaveshwara and Akkamahadevi, the Darshan (sighting) of Ramanujacharya’s Melukote (where he stayed for 14 years), the land of Dharma (faith) and tradition, the land of the fine arts and of classical music is the land of Karnataka. Such is the land of the motherland, India. Such is the rich tradition and history of India, the land of brave warriors and great saints.

कठिन शब्दार्थ :

  • मुद-मंगल – प्रसन्नता, खुशी;
  • पावन – पवित्र;
  • मन भावन – मन को अच्छा लगने वाला;
  • दर्पदलन – घमंड, अभिमान को नाश करना;
  • जगती – संसार;
  • सम्बल – सहारा;
  • पितर – परलोकवासी, पूर्वज;
  • दस्यु – डाकू, लुटेरा;
  • अनुवरत – अनुसरण करनेवाला, पालन करनेवाला।
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