Students can Download 2nd PUC Hindi Workbook Answers एकांकी Chapter 2 प्रतिशोध Pdf, 2nd PUC Hindi Textbook Answers, helps you to revise the complete Karnataka State Board Syllabus and to clear all their doubts, score well in final exams.
Karnataka 2nd PUC Hindi Workbook Answers एकांकी Chapter 2 प्रतिशोध
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: लिखिए।
प्रश्न 1.
सुशीला किसके लिए बेचैन है?
उत्तर:
भारवि अभी तक घर लौटा नहीं इसलिए सुशीला बेचैन है।
प्रश्न 2.
पुत्र को कौन निर्वासित कर सकता है?
उत्तर:
पुत्र को पिता निर्वासित कर सकता है।
प्रश्न 3.
श्रीधर पंडित का पुत्र क्या नहीं हो सकता?
उत्तर:
श्रीधर पंडित का पुत्र पतित नहीं हो सकता।
प्रश्न 4.
प्रेम के बिना किसका मूल्य नहीं है?
उत्तर:
प्रेम के बिना अनुशासन का कोई मूल्य नहीं।
प्रश्न 5.
भारवि से मिलने आयी स्त्री का नाम लिखिए।
उत्तर:
भारवि से मिलने आई स्त्री का नाम भारती था।
प्रश्न 6.
भारती ने भारवि को कहाँ देखा था?
उत्तर:
भारती ने भारवि को मालिनी तट पर देखा था।
प्रश्न 7.
अहंकार किसमें बाधक है?
उत्तर:
अहंकार उन्नति में बाधक हैं।
प्रश्न 8.
तलवार का प्रमाण किसका प्रमाण है?
उत्तर:
तलवार का प्रमाण निर्बलों का प्रमाण है।
प्रश्न 9.
ब्रह्म का निवास कहाँ होता है?
उत्तर:
ब्रह्म का निवास मस्तक के सहस्र दल में होता है।
प्रश्न 10.
भारवि के अनुसार क्या जघन्य पाप है?
उत्तर:
भारवि के अनुसार आत्महत्या जघन्य पाप है।
प्रश्न 11.
पितृ-हत्या का दण्ड क्या नहीं है?
उत्तर:
पितृ-हत्या का दण्ड पुत्र-हत्या नहीं है।
प्रश्न 12.
भारवि के अनुसार जीवन का सबसे बड़ा अपराध क्या है?
उत्तर:
जीवन को चिंता में घुलाना, पाप में लपेटना, दुःख में बिलखाना सबसे बड़े अपराध है।
प्रश्न 13.
भारवि किस महाकाव्य की रचना कर महाकवि भारवि बने?
उत्तर:
भारवि ‘किरातार्जुनीयम्’ की रचना कर महाकवि भारवि बने।
प्रश्न 14.
जीवन से क्या उत्पन्न होती है?
उत्तर:
जीवन से ग्लानि उत्पन्न होती है।
प्रश्न 15.
‘प्रतिशोध’ एकांकी के एकांकीकार का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रतिशोध एकांकी के लेखक है – डॉ. रामकुमार वर्मा
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर: लिखिए।
प्रश्न 1.
शास्त्रार्थ में पंडितों को हराते देख पिता ने भारवि के बारे में क्या सोचा?
उत्तर:
पिता अपने बेटे भारवि का पांडित्य देखकर बहुत ही प्रसन्न हुए है। वह जानते हैं कि कोई भी भारवि को नहीं हरा सकता। भारवि संसार का सर्वश्रेष्ठ महाकवि है। दूर-दूर के देशों में उसकी समानता करने का किसी में साहस नहीं। लेकिन वे चाहते थे कि भारवि और भी अधिक पण्डित और महाकवि बने। लेकिन आजकल भारवि में अहंकार आ गया है। अहंकार के कारण उसकी उन्नति नहीं होगी। इसलिए समय-समय पर वे उसे मूर्ख और अज्ञानी कहते हैं। उन्होंने सब के सामने भारवि का अपमान भी किया।
प्रश्न 2.
भारवि अपने पिता से क्यों बदला लेना चाहता था?
उत्तर:
भारवि महाकवि था, शास्त्रार्थ में सारे पंडितों को हराता था लेकिन जब उसके मन में अहंकार भर गया तब उसके पिता उन्हीं पंडितों के सामने उसे लांछित करते हैं। जिन पंडितों को वह हराया था वे ही उसका परिहास करते थे। दो बार उन्होंने पण्डितों के सामने भारवि को मूर्ख अज्ञानी कहा, उसकी निन्दा की तो भारवि क्रोध और ग्लानि से भर गया। उसने समझा कि जबतक उसके पिता जिंदा है वह ऐसे ही अपमानित होता रहेगा, इसलिए वह अपने पिता से बदला लेना चाहता था।
प्रश्न 3.
‘अहंकार उन्नति में बाधक है।’ एकांकी के आधार पर श्रीधर के इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारवि के पिता श्रीधर को पता था और गर्व भी था कि भारवि संसार का श्रेष्ठ महाकवि है। दूर दूर के देशों में उसकी समानता करनेवाला कोई नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे भारवि के मन में अहंकार भर गया। वे उसके अहंकार को मिटाना चाहते थे क्योंकि अहंकार और अभिमान से किसी की उन्नति नहीं होती यह वे जानते थे। बार-बार वे उसे मूर्ख और अज्ञानी कहते थे लेकिन उनके मन में पुत्र के प्रति मंगल कामना छिपी थी। वे चाहते थे कि उसका पुत्र और विद्वान और यशस्वी बने। अहंकारी नहीं।
प्रश्न 4.
भारवि ने अपने पिता से किस प्रकार का दण्ड चाहा और उसे क्या दण्ड मिला?
उत्तर:
भारवि को अपने पापी विचारों के कारण प्रायश्चित करना था। पिता के यह समझाने पर भी कि उसका पश्चाताप ही उसका प्रायश्चित है। भारवि नहीं मानता। उस के मन को शांति मिले इसलिए उसके पिता उसे दण्ड देते हैं, वे कहते हैं कि भारवि छः महीनों तक श्वसुरालय में जाकर सेवा करेगा और जूठे भोजन पर अपना भोजना करेगा। भारवि के लिए क्षमा असह्य थी, खुद को दण्ड देने के लिए वह आत्महत्या करता इसलिए उसके पिता ने उसने जो चाहा वह दिया।
प्रश्न 5.
सुशीला का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
सुशीला भारवि की माँ है। संस्कृत के महापंडित श्रीधर की पत्नी है। भारवि के घर न लौटने पर वह बहुत दुःखी है। आभा से यह कहने पर की खाना खाए वह खाना नहीं खाती भारती जो भारवि को ढूँढने आई उसे भी वह भारवि को ढूँढकर लाने को कहती है। भारवि के पिता उसे समझाने की भरसक कोशिस कर रहे हैं, लेकिन वह नहीं समझती। श्रीधर के डाँटने पर ही वह घर नहीं आया लेकिन उसके पीछे पुत्र के भलाई की चिंता थी यह वह समझ जाती है।