Students can Download 2nd PUC Hindi Workbook Answers Chapter 1 सुजान भगत Pdf, 2nd PUC Hindi Textbook Answers, helps you to revise the complete Karnataka State Board Syllabus and to clear all their doubts, score well in final exams.
Karnataka 2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 1 सुजान भगत
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
रैदास किसकी रट लगाए हुए है?
उत्तर:
रैदास राम नाम की रट लगाए हुए है।
प्रश्न 2.
अंग-अंग में किसकी सुगंध, समा गई है?
उत्तर:
अंग-अंग में चंदनी की सुगंध, समा गई है।
प्रश्न 3.
चकोर पक्षी किसे देखता रहता है?
उत्तर:
चकोर पक्षी चाँद देखता रहता है।
प्रश्न 4.
रैदास अपने-आपको किसका सेवक मानते है?
उत्तर:
रैदास अपने-आपको राम याने अपने स्वामी के सेवक मानते है।
प्रश्न 5.
रैदास किस प्रकार जीवन का निर्वाह करने के लिए कहते है?
उत्तर:
रैदास श्रम कर जीवन का निर्वाह करने के लिए कहते है।
प्रश्न 6.
रैदास के अनुसार कभी क्या निष्फल नही जाता?
उत्तर:
रैदास के अनुसार नेकी से कमाया धन कभी निष्फल नही जाता।
प्रश्न 7.
रैदास किस राज्य की कामना करते है?
उत्तर:
रैदास ऐसे राज्य की कामना करते है जहाँ सबको खाना मिलता हो और जहाँ बडे-छोटे का भेदभाव न हो।
II. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
रैदास ने भगवान और भक्त के संबंध को कैसे वर्णित किया है?
उत्तर:
रैदास अपने आपको राम के प्रति समर्पित कर कह रहे है कि प्रभु तुम और मैं अलग कैसे है? हम तो एक दूसरे में समा गए है। जहाँ आप हो वहाँ मैं हूँ। हम तो एक दूसरे में समा गए है। जहाँ आप हो वहाँ मैं हूँ। रामनाम की रट से अब मैं कैसे छुटकारा पाऊँ? हे प्रभु तुम चंदन की तरह हो और मैं पानी। मेरे अंग-अंग में तुम्हारी खुशबू समा गई है। हम दोनों अलग कैसे हो सकते है? प्रभुजी तुम धने जंगल हो और मैं अंगल का मोर हूँ। जंगल को छोड मोर कहाँ जा सकता है? जैसे चकोर पंछी को चाँद लुभाता है वैसे ही तुम मुझे लुभाते हो। हे प्रभु तुम दीपक और मैं बाती हूँ जो दिन-रात जलती रहती है। और तू प्रकाश देता रहता है। हे प्रभु, तुम मेरे स्वामी हो और मैं तुम्हारा दास हूँ रैदास तुमसें इसतरह जुड़ा हुआ है। रैदास तुम्हारा ऐसा भक्त है।
प्रश्न 2.
परिश्रम के महत्व के प्रति रैदास के क्या विचार है?
उत्तर:
परिश्रम का महत्व बताते हुए रैदास कह रहे है सब को परिश्रम कर जीवन यापन करना चाहिए। ना ही कोई आलसी हो न कोई कामचोर। इस जिंदगी से वही पार होगा जिसने श्रम का, मेहनत का महत्व जान लिया हो। परिश्रम में घोखा न हो इसलिए आगे वे कहते है कि नेकी से जो कमाई करोगे तो कुछ भी निष्फल न होगा। इमानदारी बडी चीज है, जीवन में सफलता उसीसे मिलेगी।
III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 1.
ऐसा चाहो राज में,
जहाँ मिले सबन को अभ
छोटा-बड़ो सभ सम बसै
रैदास रहे प्रसन्न
उत्तर:
इन पंक्तियों को ‘रैदासबानी’ से लिया गया है।
रैदास इन पक्तियों में एक राज्य के बारे में कह रहे है कि मुझे ऐसे राज्य में रहना है, जहाँ कोई भूखा न रहता हो सबको खाने के लिए अन्न मिलताहो। जहाँ अमीर-गरीब, उँच-नीच का कोई भदभावन हो/सब को जहाँ समान रूप से सम्मान मिलता हो। छोटे-बडे का भेदभाव न हो।
प्रश्न 2.
रैदास श्रम करि खाइहि
जो लौ पार बसाय।
नेक कमाई जड करइ
कबहुँ न निहफल जाय ।।2।।
इन पंक्तियों को रैदासबानी’ से लिया गया है।
उत्तर:
यहाँ परिश्रम का महत्व बताते हुए रैदास कह रहे है सब को परिश्रम कर. जीवन यापन करना चाहिए। ना ही कोई आलसी हो न कोई कामचोर। इस जिंदगी से वही पार होगा जिसने श्रम का, मेहनत का महत्व जान लिया हो। परिश्रम में घोखा न हो इसलिए आगे वे कहते है कि नेकी से जो कमाई करोगे तो कुछ भी निष्फल न होगा। इमानदारी बडी चीज है, जीवन में सफलता उसीसे मिलेगी।