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Karnataka 2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 5 अधिकार
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: लिखिए:
प्रश्न 1.
मुस्काते फूल को क्या आना चाहिए?
उत्तर:
मुस्काते फूल को मुरझाना भी आना चाहिए।
प्रश्न 2.
मेघ में किस चीज की चाह होनी चाहिए?
उत्तर:
मेघ में गरजकर बरस पड़ने की चाह होनी चाहिए।
प्रश्न 3.
आँखों की सुन्दरता किससे बढती है?
उत्तर:
जिन आँखो से दूसरोंका दुःख देखकर आँसू बहते है।
प्रश्न 4.
प्राणों की सार्थकता किसमें है?
उत्तर:
जो दूसरों के दुःख से दुःखी होता है जिसमें पीड़ा बसती है।
प्रश्न 5.
कवयित्री को किसकी चाह नहीं है?
उत्तर:
कवयित्री को अमरों के लोको की चाह नही है।
प्रश्न 6.
कवयित्री किस अधिकार की बात कर रही है?
उत्तर:
कवयित्री मिटने के अधिकार की बात कर रही है।
प्रश्न 7.
परमात्मा की करुणा से कवयित्री को क्या मिला?
उत्तर:
परमात्माकी करुणा से दुसरों के लिए मर मिटनेका अधिकार उसे मिला है।
II. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर: लिखिए।
प्रश्न 1.
जीवन की सार्थकता किसमें है?
उत्तर:
कवयित्री महादेवी कहती है – जीवन की सार्थकता परिस्थितियों से डटकर मुकाबला करने में है न कि पलायन करने में। उन आँखों को हम सुन्दर क्यों कहे जो दूसरों का दूःख-दर्द देखकर ऑसूओं सेभर न जाए। वह प्राण ही क्या जो दूसरों की पीड़ा सेन तडपे। जीवन की सार्थक ता संघर्ष करने में है, हर तरह के वेदना से सामना करने में है।
प्रश्न 2.
अधिकार’ कविता के मुख्य भाव पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
महादेवी वर्मा को वेदना की कवयित्री कहा जाता है। अपने वेदना का स्वागत करते हुए वह कहती है जिस लोक में अवसाद (दुःख) नही वेदना नहीं, ऐसे लोक को लेकर क्या होगा? जीवन की सार्थकता परिस्थितियों से डटकर मुकाबला करने में है ना कि भाग जाने में। फूल, बादल, तारे ऋतुराज, वसंत आदि के उदाहरण देकर वह कहती है कि जिसने दुःख क्या हे जाना है, आग में जलना क्या होता है जिसने जाना है, वही मनुष्य अपनी जिन्दगी को जीता है। कवयित्री को वेदना का वह रूप प्रिय है जो मनुष्य के संवेदनशील हृदय को सारे संसार से बांध देती है।
वह कहती है मुझे अमरों का लोक नही चाहिए – मुझे जो मिटनेका अधिकार मिला है, उसे मैं खोना नही चाहती उसे वह बचाए रखना चाहती है। उस प्राण को कोई प्राण कैसे कहे जिसमें वेदना की तडप नही, वह आँखे भी क्या जिसमें दुःख के आँसू न बहो इनके उदाहरण देकर कवयित्री जीवन में वेदना की अनुभूति का महत्व समझाती है। संघर्ष के पथपर हमेशा आगे बढ़ने का संदेश वह इस कविता में देती है।
III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए:
प्रश्न 1.
क्या अमरों का लोक मिलेगा?
तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव! अरे
यह मेरा मिटने का अधिकार !
उत्तर:
इन पंक्तियों को कवयित्री महादेवी वर्मा के लिखे ‘अधिकार’ कविता से ली गई है।
कवयित्री इन पक्तियों में कहती है – किसी के लिए मर-मिटना मुझे स्वीकार है ना कि अमर हो जाना जिसका हृदय हे भगवान तुमने करुणा से भर दिया है, वही लोक कल्याण के लिए खुद कष्ट सह कर अमर हो सकता है। हे देव, मैं खुश हूँ कि मुझे भी दूसरों के लिए मर-मिटने का उपहार का उपहार मिला है अधिकार मिला है। मैं किसी के लिए मर-मिट सकती हूँ।