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ईमानदारों के सम्मेलन में Questions and Answers, Notes, Summary
अभ्यास
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
प्रस्तुत कहानी के लेखक कौन हैं?
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी के लेखक हरिशंकर परसाई हैं।
प्रश्न 2.
लेखक दूसरे दर्जे में क्यों सफर करना चाहते थे?
उत्तर:
लेखक दूसरे दर्जे में इसलिए सफर करना चाहते थे कि दूसरे दर्जे में जाएँगे और पहले का किराया लेना चाहते थे।
प्रश्न 3.
लेखक की चप्पलें किसने पहनी थीं?
उत्तर:
लेखक की चप्पलें एक ईमानदार डेलिगेट ने पहनी थीं।
प्रश्न 4.
स्वागत समिति के मंत्री किसको डाँटने लगे?
उत्तर:
स्वागत समिति के मंत्री कार्यकर्ताओं को डाँटने लगे।
प्रश्न 5.
लेखक पहनने के कपडे कहाँ दबाकर सोये?
उत्तर:
लेखक पहनने के कपडे सिरहाने दबाकर सोये।
प्रश्न 6.
सम्मेलन में लेखक के भाग लेने से किन-किन को प्रेरणा मिल सकती थी?
उत्तर:
सम्मेलन में लेखक के भाग लेने से ईमानदारों तथा उदीयमान ईमानदारों को प्रेरणा मिल सकती थी।
प्रश्न 7.
लेखक को कहाँ ठहराया गया?
उत्तर:
लेखक को एक बडे कमरे में ठहराया गया।
प्रश्न 8.
ब्रीफकेस में क्या था ?
उत्तर:
ब्रीफकेस में कागजात थे।
प्रश्न 9.
लेखक ने धूप का चश्मा कहाँ रखा था?
उत्तर:
लेखक ने धूप का चश्मा कमरे की टेबल पर रखा था।
प्रश्न 10.
तीसरे दिन लेखक के कमरे से क्या गायब हो गया था?
उत्तर:
तीसरे दिन लेखक के कमरे से कम्बल गायब हो गया था।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
लेखक को भेजे गये निमंत्रण पत्र में क्या लिखा गया था ?
उत्तर:
लेखक को भेजे गये निमंत्रण पत्र में यह लिखा गया था कि – हम लोग इस शहर में एक ईमानदार सम्मेलन कर रहे हैं। आप देश के प्रसिद्ध ईमानदार हैं। हमारी प्रार्थना है कि आप इस सम्मेलन का उद्घाटन करें। हम आपको आने-जाने का पहले दर्जे का किराया देंगे तथा आवास, भोजन आदि की उत्तम व्यवस्था करेंगे। आपके आगमन से ईमानदारों तथा उदीयमान ईमानदारों को बडी प्रेरणा मिलेगी।
प्रश्न 2.
फूल मालाएँ मिलने पर लेखक क्या सोचने लगे ?
उत्तर:
ईमानदारों के सम्मेलन के लिए जब लेखक रेलवे स्टेशन पहुंचे, उनका खूब स्वागत हुआ। लगभग दस बड़ी फूल-मालाएँ पहनायी गयीं। फूल-मालाएँ मिलने पर लेखक ने सोचा, आस-पास कोई माली होता तो फूल-मालाएँ भी बेच देता।
प्रश्न 3.
लेखक ने मंत्री को क्या समझाया ?
उत्तर:
जब रोज चीजे गायब होने लगी तो सम्मेलन को आए प्रतिनिधियों ने हल्ला मचाया। स्वागत समिति के मंत्री ने आकर कार्यकर्ताओं को डाँटा और पुलिस को बुलाने की बात कही। तब लेखक ने मंत्री को समझाया कि ईमानदारों के सम्मेलन में पुलिस ईमानदारों की तलाशी ले, यह बड़ी अशोभनीय बात होगी। इतने बड़े सम्मेलन में थोड़ी गड़बड़ी तो होगी ही कहकर उनको रोक लिया।
प्रश्न 4.
चप्पलों की चोरी होने पर ईमानदार डेलीगेट ने क्या सुझाव दिया ?
उत्तर:
सम्मेलन के उद्घाटन के बाद जब लेखक चप्पलें पहनने गया तो देखा की उनकी चप्पलें गायब थी। उनकी नयी और अच्छी चप्पलों की जगह एक जोड़ी फटी-पुरानी चप्पलें थी। एक ईमानदार डेलीगेट उनके कमरे में आया और लेखक को समझाने लगा की चप्पलें एक ही जगह नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि चोरी हो जाती है। एक ही जगह जोड़ी रहने से कोई पहनकर चला जाता है। इसलिए उसने लेखक को सुझाव दिया की दोनों चप्पलों को दस फीट दूरी में रखने से चोरी, नहीं होती।
प्रश्न 5.
लेखक ने कमरा छोड़कर जाने का निर्णय क्यों लिया?
उत्तर:
लेखक ईमानदारों के सम्मेलन में मुख्य अतिथि के नाते आये थे। उन्हें एक होटल के बड़े कमरे में ठहराया गया था। पहले-पहले उन्हें अपनी नई चप्पलें खोने का अनुभव हुआ। जिस डेलीगेट ने उनकी चप्पलें चुराई थी, वही महाशय लेखक को सुझाव देने लगे। कमरे से उनकी चादरें गायब थीं, उनका धूपवाला चश्मा गायब हुआ। किसी का ब्रीफकेस चला गया। इस प्रकार ईमानदार सम्मेलन में लेखक को अंतिम अनुभव यह हुआ कि जब कमरे का ताला ही चुरा लिया गया है, तो शायद खुद वह भी चुरा लिया जाएगा। इसलिए लेखक ने कमरा छोड़कर जाने का निर्णय लिया।
प्रश्न 6.
मुख्य अतिथि की बेईमानी कहाँ दिखाई देती है ?
उत्तर:
लेखक को ईमानदारों के सम्मेलन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया। आने-जाने का पहले दर्जे का किराया देने की बात कही, तो लेखक ने मान लिया। लेकिन वह ईमानदारी के लिए नहीं गया। लेखक पहले दर्जे का किराया लेके दूसरे दर्जे में सफर करके पैसा बचाना चाहते थे। यहाँ उनकी बेईमानी दिखाई देती है।
III. चार-छः वाक्यों में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
लेखक के धूप का चश्मा खो जाने की घटना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दूसरे दिन बैठक में जाने के लिए धूप का चश्मा खोजने लगा, तो नहीं मिला जो शाम को तो था। जब लेखक इस बात को एक-दो लोगों से कहा, तो बात फैल गयी। लोगों ने सहानुभूति प्रकट की। एक सज्जन आकर लेखक का धूप का चश्मा चोरी होने के बारे में कहा उसने धूप का चश्मा पहना था। वह एक दिन पहले चश्मा नहीं लगाया था। लेखक को मालूम हो गया कि जो चश्मा उस सज्जन ने लगाया था वह लेखक का ही था। वह लेखक से कहने लगा कि आपने चश्मा लगाया नहीं था ? और उस सज्जन ने लेखक का चश्मा लगाये इतमिनान से बैठा था।
प्रश्न 2.
मंत्री तथा कार्यकर्ताओं के बीच में क्या वार्तालाप हुआ ?
उत्तर:
मंत्री कार्यकर्ताओं को डाँटने लगे. कि – तुम लोग क्या करते हों ? तुम्हारी ड्यूटी यहाँ है। तुम्हारे रहते चोरियाँ हो रही हैं। यह ईमानदार सम्मेलन है। बाहर यह चोरी की बात फैलेगी तो कितनी बदनामी होगी। तब कार्यकर्ताओं ने कहा कि – हम क्या करें ? अगर सम्माननीय डेलीगेट यहाँ वहाँ जायें, तो क्या हम उन्हें रोक सकते हैं ? मंत्री ने गुस्से से कहा कि – मैं पुलिस को बुलाकर यहाँ तलाशी करवाता हूँ। तब एक कार्यकर्ता ने कहा कि – तलाशी किनकी करवायेंगे, आधे के लगभग डेलीगेट तो किराया लेकर दोपहर को ही वापस चले गये।
प्रश्न 3.
सम्मेलन में लेखक को कौन-से अनुभव हुए? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
स्टेशन पर लेखक का खूब स्वागत हुआ। लगभग दस बडी फूल मालाएँ लेखक को पहनायीं गयी तो उसने सोचा कि आस-पास कोई माली होता तो फूल-मालाएँ भी बेच लेता। सम्मेलन में लेखक की नयी चप्पलें गायब थीं उसके बदले में फटी-पुरानी चप्पलें बची थीं। एक सज्जन ने ही लेखक की चप्पल पहना था। तो लेखक को मालूम हुआ और दूसरे दिन लेखक को धूप का चश्मा गायब हुआ था जिसे एक सज्जन ने लगाया था। और उसने उल्टा लेखक को ही समझा रहा था। लेखक को उस सज्जन ने चश्मा पहनकर इतमिनान से बैठे दिख रहा था। तीसरे दिन रात में उसे कंबल को खोजने लगा तो कंबल भी गायब था और सम्मेलन में सब ईमानदारी की बातें करते थे। पर सब बेईमान थे। अन्त में ताला भी गायब हुआ था। यह सब देखकर लेखक को लगा कि “अगर वे रूके तो वे भी चुरालिए जाऐंगे।” इस प्रकार लेखक को सम्मेलन में बहुत-से अनुभव हुए।
IV. अनुरूपता:
- पहला दिन : चप्पलें गायब थीं :: दूसरे दिन : ——
- तीसरे दिन : कम्बल गायब था :: चौथे दिन : ——-
- रिक्शा : तीन पहियों का वाहन :: साइकिल : ——-
- रेलगाडी : पटरी :: हवाईजहाज : ——–
उत्तर:
- चादरे गायब थी।
- ताला गायब था।
- दोपहियों का वाहन
- आसमान में उडता है।
V. रिक्त स्थान भरिए:
- हम लोग इस शहर में एक ……….. सम्मेलन कर रहे हैं।
- आपकी चप्पलें नहीं गयीं, यह ………….
- वह मेरा चश्मा लगाये ………… से बैठे थे।
- फिर इतने बड़े सम्मेलन में थोडी ………. होगी ही।
उत्तर:
- ईमानदारों का
- गनीमत
- इतमीनान
- गडबडी
VI. विलोम शब्द लिखिए :
- आगमन
- रात
- जवाब
- बेचना
- सज्जन
उत्तर:
- आगमन × निर्गमन
- रात × दिन
- चवाब। × सवाल
- बेचना × खरीदना
- सज्जन × दुर्जन
VII. बहुवचन रूप लिखिए:
- कपडा
- चादर
- बात
- डिब्बा
- चीज
उत्तर:
- कपडा x कपडे
- चादर x चादरें
- बात x बातें।
- डिब्बा x डिब्बे
- चीज x चीजें
VIII. प्रेरणार्थक क्रिया रूप लिखिए:
- ठहरना – ठहराना – ठहरवाना
- धोना – धुलाना – धुलवाना
- देखना – दिखाना – खिवाना
- लौटना – लौटाना – लौटवाना
- उतरना – उतराना – उतरवाना
- पहनना – पहनाना – पहनवाना
IX. संधि-विच्छेद करके संधि का नाम लिखिएः
- स्वागत = सु + आगत = यण संधि
- सहानुभूति = सह + अनुभूति = दीर्घ संधि
- सज्जन – सज् + जन = व्यंजन संधि
- परोपकार = पर + उपकार = गुण संधि
- निश्चिंत = निः + चिंत विसर्ग संधि
- सदैव = सदा + एव = वृद्धि संधि
X. कन्नड या अंग्रेजी में अनुवाद कीजिए :
प्रश्न 1.
हम आप को आने-जाने का पहले दर्जे का किराया देंगे।
उत्तर:
ನಾವು ನಿಮಗೆ (ತಮಗೆ) ಬಂದು ಹೋಗುವ
ಪ್ರಥಮ ವರ್ಗದ ಬಾಡಿಗೆ ಕೊಡುತ್ತೇವೆ.
We will give first class up and down tickets fare for you.
प्रश्न 2.
स्टेशन पर मेरा खूब स्वागत हुआ।
उत्तर:
ಸ್ಟೇಶನ್ನಲ್ಲಿ ನನಗೆ ಬಹಳ ಸ್ವಾಗತವಾಯಿತು.
I was given a very grand welcome in station.
प्रश्न 3.
देखिए, चप्पलें एक जगह नहीं उतारना चाहिए।
उत्तर:
ನೋಡಿರಿ. ಚಪ್ಪಲಿಗಳನ್ನು ಒಂದು ಸ್ಥಳದಲ್ಲಿ
ತೆಗೆದಿಡಬಾರದು.
See, chappals should not be left in one place.
प्रश्न 4.
अब मैं बचा हूँ। अगर रूका तो मैं ही चुरा लिया जाऊँगा।
उत्तर:
ಈಗ ನಾನು ಉಳಿದಿದ್ದೇನೆ. ಒಂದು ವೇಳೆ ನಿಂತರೆ
ನಾನೇ ಕಳೆದುಹೋಗುತ್ತೇನೆ.
I am saved. If I will stay here I will | be theft now. ।
XI. ईमान गुण के सामने सही चिन्ह (?) और बेईमान गुण के सामने गलत चिन्ह (✗) लगाइए:
1. दूसरे लोगों की वस्तुओं को वापिस पहुँचाना। ✓
2. चोरी करना। ✗
3. रास्ते में मिली वस्तुओं को पुलिस स्टेशन | पहुँचाना। ✓
4. कामचोरी करना। ✗
5. बगल में छुरी मुँह में राम-राम करना। ✗
6. झूठ बोलना। ✗
7. नेक मार्ग पर चलना।✓
8. जानबूझकर गलती करना। ✗
9. बहाना बनाना। ✗
10. सच बोलना। ✓
11. समय पर काम पूरा करना। ✓
12. धोखा देना। ✗
13. जालसाजी करना। ✗
14. चोर बाजारी और मिलावट करना। ✗
15. निष्ठा से कार्य करना। ✓
16. भ्रष्टाचार में शामिल होना। ✗
17. सेवाभाव से दूसरों की सहायता करना। ✓
18. देश के प्रति सच्चा अभिमान रखना। ✓
19. सच्चे भाव से बडों का आदर करना। ✓
20. अपने सहपाठियों के साथ भाईचारे का व्यवहार करना। ✓
XII. चित्र देखकर कहानी रचिए, और उसके लिए एक उचित शीर्षक दीजिए :
भाषा ज्ञान
I. दिए गए निर्देशानुसार वाक्य बदलिए:
प्रश्न 1.
मेरे पास चप्पल नहीं थी। (वर्तमानकाल में)
उत्तर:
मेरे पास चप्पल नहीं है।
प्रश्न 2.
एक बिस्तर की चादर गायब है। (भूतकाल में)
उत्तर:
एक विस्तर की चादर गायब थी।
प्रश्न 3.
उसमें पैसे तो नहीं थे। (भविष्यत्काल में)
उत्तर:
उसमें पैसे नहीं होंगे।
प्रश्न 4.
कोई उठा ले गया होगा। (वर्तमानकाल में)
उत्तर:
कोई उठा ले जा रहा है।
प्रश्न 5.
वह धूप का चश्मा लगाये थे। (भविष्यत्काल में)
उत्तर:
वह धूप का चश्मा लगाएँगे।
प्रश्न 6.
सुबह मुझे लौटना था। (भविष्यत्काल में)
उत्तर;
सुबह मुझे लौटना होगा।
II. निम्नलिखित वाक्यों के आगे काल पहचानकर लिखिए :
- मैंने सामान बाँधा। ……..
- बडी चोरियाँ हो रही हैं। …….
- पहले दर्जे का किराया लँगा। ………..
- डेलीगेट दोपहर को ही वापस चले गये। ………..
- मेरी चप्पलें देख रहे थे। ………..
उत्तर:
- भूतकाल
- वर्तमानकाल
- भविष्यतकाल
- भूतकाल
- भूतकाल
III. इन कहावतों का अर्थ समझकर वाक्य में प्रयोग कीजिए:
जैसे : कहावत – जहाँ चाह वहाँ राह।।
अर्थ – इच्छा होने पर उसे पाने का मार्ग स्वयं मिल जाता है।
वाक्य – यदि मनुष्य चाहे तो कठिन से कठिन कार्य से भी पूरा कर सकता है, क्योंकि जहाँ चाह वहाँ राहा
- गुरु गुड ही रहे, चेले शक्कर हो गये।
अर्थ – गुरु से भी आगे निकलना
वाक्य – विवेक ने अपने गुरु से प्रशिक्षण लिया और उसे पुरस्कृत किया गया। ये तो वही बात होगई, जैसे गुरु गुडही रहे, चेले शक्कर हो गए।
- जैसा देश, वैसा भेस।
अर्थ – जगह के अनुसार रह्ना
वाक्य – जब हम किसी के ‘ जाते है, तो उनके जैसे रहना पड़ता है। जैसे जैसा देश वैसा भेस।
- निर्वल के बलराम।।
अर्थ बलहीनों का सहारा भगवान होते हैं।
वाक्य – रामू स्वभाव से बहुत भोला । इसलिए लोग उसका फायदा उठाते थे, मगर उसे विश्वास था कि निर्बल के भगवान होते है।
- बट; व्या । अदरक का स्राद!
अर्थ – मूर्ख व्यक्ति के हाथ में मूल्यवान चीज लगना
वाक्य – पाश्चात्य संगीत की धुन पर थिरकने वाले युवाओं को सामने शास्त्रीय संगीत का कोई महत्व नहीं है। उनके लिए यह कहावत सत्य प्रतीत होती है । कि बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।
- हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के और।
अर्थ – बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और।
वाक्य – मोहन का व्यवहार घर में अलग और पाठशाला में हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और।
ईमानदारों के सम्मेलन में Summary in Hindi
ईमानदारों के सम्मेलन में लेखक परिचय :
कलम को लेखक की तलवार माननेवाले श्री हरिशंकर परसाई हिन्दी साहित्य जगत् की एक बेजोड़ निधि हैं। इनका जन्म मध्य प्रदेश के जमानी गाँव में 22 अगस्त 1924 को हुआ था। इनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ हैं – ‘हँसते हैं रोते हैं’, ‘भूत के पाँव पीछे’, ‘सदाचार का तावीज़’, ‘वैष्णव का फिसलन’ आदि। हिन्दी के व्यंग्य साहित्य के विकास में इनका योगदान अद्वितीय है।
पाठ का सारांश :
लेखक अपने को ईमानदार नहीं मानते, परन्तु लोग उन्हें ईमानदार मानने लगे। लेखक को पत्र मिला – “आप देश के प्रसिद्ध ईमानदार है। हम एक ईमानदार सम्मेलन करने जा रहे हैं। अतः आप इस सम्मेलन का उद्घाटन करें। आपको आने-जाने का किराया दिया जाएगा, आवास-व्यवस्था होगी। आपके आने से उदीयमान ईमानदारों को प्रेरणा मिलेगी।’ आखिर लेखक गया, इसलिए नहीं कि वह ईमानदार है, उसे कुछ लेना-देना नहीं था। पर उन लोगों ने उसे राष्ट्रीय स्तर का ईमानदार माना ही क्यों?’खैर!
स्टेशन पर उनका भव्य स्वागत किया गया। उन्हें एक शानदार होटल में ठहराया गया, जहाँ और भी कई लोग थे। लेखक ने अपने कमरे को ताला नहीं लगाया। उद्घाटन शानदार हुआ। लेखक ने करीब एक घंटे तक भाषण दिया।
लोग जाने लगे। लेखक से लोग बातें करने लगे। जब वह चप्पल पहनने गया तो उनकी चप्पलें गायब थीं। बदले में फटी-पुरानी चप्पलें पहनकर आया। उन्हीं के कमरे में जो डेलीगेट थे, उन्होंने ही उनकी नई चप्पलें पहन रखी थीं। वे लेखक को समझाने लगे कि चप्पलें एक ही जगह नहीं छोड़नी चाहिए, क्योंकि चोरी हो जाती है। एक ही जगह जोड़ी रहेगी तो कोई पहनकर चला जाता है। लेखक ने उनसे कहा – “अच्छा है कि आपकी चप्पलें नहीं गईं।”
फिर लेखक ने देखा कि बिस्तर की चद्दर गायब है। दूसरे दिन गोष्ठियों से लौटा, तो दो और चद्दरें नहीं थीं। दूसरे दिन बैठक में जाने के लिए धूप का चश्मा ढूँढा, तो नहीं मिला। बात फैल गई। इसी समरा बगल वाले कमरे से आवाज आई, “मेरा ब्रीफकेस कहाँ चला गया?” बैठक में पन्द्रह मिनट चाय की छुट्टी थी। लोग कहने लगे – “बड़ी चोरियाँ हो रही हैं। आपका धूप का चश्मा ही चला गया। वह खुद धूप का चश्मा लगाए हुए थे, जो लेखक का ही था। वह बड़े ही इतमीनान से बैठे थे।
तीसरे दिन कुछ ठंड थी, लेखक ने सोचा कि कम्बल ओढ़ लूँ, पर कम्बल भी गायब था। फिर हल्ला हुआ। स्वागत समिति के मंत्री आये। मंत्री कार्यकर्ता को डाँटने लगे – “कितनी चोरियाँ हो रही है? यह ईमानदारों का सम्मेलन है। बात बाहर जाएगी, तो कितनी बदनामी होगी?” कार्यकर्ता ने कहा – “हम क्या करें, डेलिगेट इधर-उधर जाये, तो क्या हम उन्हें रोकें?” मंत्री ने कहा – “पुलिस को बुलाकर सबकी तलाशी ली जाएगी।”
लेखक ने समझाया – “ऐसा मत कीजिए। ईमानदारों के सम्मेलन में पुलिस ईमानदारों की तलाशी ले, यह अशोभनीय बात होगी।’ एक कार्यकर्ता ने कहा – “तलाशी किनकी लेंगे? आधे डेलीगेट तो किराया लेकर वापस चले गये हैं।” रात को पहनने के कपड़े लेखक सिरहाने दबाकर सोया। नयी चप्पलें और शेविंग का डिब्बा बिस्तर के नीचे दबाया। सुबह निकलना था। उन्होंने सामान बाँधा। मंत्री ने कहा – “परसाई जी, स्वागत समिति के साथ अच्छे होटल में भोजन करेंगे। अब ताला लगा देते है। पर ताला भी चुरा लिया गया था।
लेखक ने कहा – “रिक्शा बुलवाइये। मैं सीधा स्टेशन जाऊँगा। यहाँ नहीं रुकूँगा।” मंत्री हैरानी से बोले – “ऐसी भी क्या नाराजगी है?” लेखक ने कहा – “नाराजगी कतई नहीं है। बात यह है कि ताला तक चुरा लिया गया है। अब यदि मैं रुका तो मैं ही चुरा लिया जाऊँगा।”
ईमानदारों के सम्मेलन में Summary in English
In a Gathering of Honest People Summary in English:
There was a gathering of some honest people for which the author was invited as a guest. As per the request of the organizers. He went to their place in a train. He was received well in the Railway Station with many garlands. A big and comfortable room was booked for the guests. The author inaugurated the function and spoke on the importance of honesty for nearly an hour. After his speech, he went outside the stage to have had his chappals. But he found that they were missing among the honest. people. He found his chappals being used by some strange person who was one among the honest people.
He found some things of the room like bed-sheet and some other items were also disappearing.
In the second day, the guest lost his goggle which was also stolen by some body. Further his document kept briefcase was also stolen by one of the members of the honest gathering. The guest felt sorry for such thefts in the gathering of honest people. In the meanwhile, a minister came and became angry and said “Such thefts are nothing but the insult among the members of the honest gathering”. The hosts helped the guests to go back. The guest was hurrying to go back and said “I must leave the place as early as possible otherwise; I may also be stolen by the members of Honest Association”.
ईमानदारों के सम्मेलन में Summary in Kannada