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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 26 खून का रिश्ता
खून का रिश्ता Questions and Answers, Notes, Summary
I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
चाचा मंगलसेन चिलम थामे क्या देख रहा था?
उत्तर:
चाचा मंगलसेन चिलम थामे सपने देख रहा था कि वह समधियों के घर में बैठा है और वीरजी की सगाई हो रही है।
प्रश्न 2.
घर का पुराना नौकर कौन था?
उत्तर:
घर का पुराना नौकर सन्तू था।
प्रश्न 3.
सन्तू की पीठ पर क्या पड़ी?
उत्तर:
सन्तू की पीठ पर चाबुक पड़ी।
प्रश्न 4.
किसका स्वप्न सचमुच साकार हो उठा?
उत्तर:
मंगलसेन का सपना सचमुच साकार हो उठा।
प्रश्न 5.
लड़की की पढ़ाई कहाँ तक हुई थी?
उत्तर:
लड़की की पढ़ाई बी.ए. तक हुई थी।
प्रश्न 6.
बाबूजी के सामने चाँदी की कितनी कटोरियाँ रखी हुई थीं?
उत्तर:
बाबूजी के सामने तीन चाँदी की कटोरियाँ रखी हुई थीं।
प्रश्न 7.
वीरजी की बहन का नाम क्या है?
उत्तर:
वीरजी की बहन का नाम मनोरमा है।
प्रश्न 8.
प्रभा की सगाई किनके साथ हुई?
उत्तर:
प्रभा की सगाई वीरजी के साथ हुई।
प्रश्न 9.
एक चम्मच की कीमत कितनी मानी गई?
उत्तर:
एक चम्मच की कीमत पाँच रुपये मानी गई।
प्रश्न 10.
प्रभा का भाई वीरजी के घर क्या देने आया था?
उत्तर:
प्रभा का भाई वीरजी के घर चमकता सफेद चम्मच देने आया था।
अतिरिक्त प्रश्नः
प्रश्न 11.
किसकी सगाई हो रही थी?
उत्तर:
वीरजी की सगाई हो रही थी।
प्रश्न 12.
थाली में चाँदी के कितने चम्मच रखे हुए थे?
उत्तर:
थाली में तीन छोटे-छोटे चाँदी के चम्मच रखे हुए थे।
प्रश्न 13.
किसका लिहाज़ करना चाहिए?
उत्तर:
खून की रिश्ते का कुछ तो लिहाज़ करना चाहिए।
प्रश्न 14.
वीरजी की पढ़ाई कहाँ तक हुई थी?
उत्तर:
वीरजी की पढ़ाई एम.ए. तक हुई थी।
प्रश्न 15.
‘खून का रिश्ता’ कहानी के कहानीकार कौन हैं?
उत्तर:
‘खून का रिश्ता’ कहानी के कहानीकार भीष्म साहनी हैं।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिएः
प्रश्न 1.
वीरजी के परिवार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
वीरजी का परिवार संपन्न था। वीरजी पढ़े-लिखे थे और शहर में रहते थे। परिवार में उनके माता-पिता थे, एक शरारती मिजाज़वाली छोटी बहन थी जिसका नाम मनोरमा था। घर पर मंगलसेन नाम के रिश्ते के चाचा रहते थे जो स्वयं को इनके परिवार का अभिन्न अंग मानते थे। घर का पुराना नौकर संतु था जो मंगलसेन को ज्यादा हिलमिल गया था। वीरजी अविवाहित थे किन्तु प्रभा नाम की पढ़ी-लिखि सुन्दर कन्या से उनकी सगाई होनेवाली थी। वीरजी बहुत भावुक थे, वे प्रभा से प्रेम करते थे और उससे सरल विवाह करना चाहते थे।
प्रश्न 2.
मंगलसेन को अपनी हैसियत पर क्यों नाज़ था?
उत्तर:
मंगलसेन को अपनी हैसियत पर बड़ा नाज़ था। किसी ज़माने में फौज में रह चुका था, इस कारण अब भी सिर पर खाकी पगड़ी पहनता था। खाकी रंग सरकारी रंग है, पटवारी से लेकर बड़े-बड़े इन्स्पेक्टर तक सभी खाकी पगड़ी पहनते हैं। इस पर ऊँचा खानदान और शहर के धनीमानी भाई के घर में रहना, ऐंठता नहीं तो क्या करता?
प्रश्न 3.
सन्तू का परिचय दीजिए।
उत्तर:
सन्तू वीरजी के घर का एक नौकर है। यह इस घर का पुराना नौकर है। वह चिलम का कश खुद भी लेता है और अन्यों से भी आग्रह करता है। बाबूजी वीरजी की सगाई में तुम्हें नहीं ले जाएंगे, कहकर मंगलसेन का मजाक उड़ाया करता था। मंगलसेन का स्वप्न साकार होते देख वह बोला – तुम जीत गये, बस वेतन मिलते ही तुम्हें दो रुपये दे दूंगा। काम दोनों ही करते थे, जब कि सन्तू नौकर था और मंगलसेन समधी थे। सन्तू कभी-कभी कामकाजों में उदासीन भी था। तब उसे डाँट खानी पड़ती थी।
प्रश्न 4.
समधियों के घर मंगलसेन की आवभगत कैसे हुई?
उत्तर:
समधियों के घर मंगलसेन की आवभगत बहुत ही जोरदार तरीके से की गई। मंगलसेन एक आरामकुर्सी पर बैठा था। एक आदमी पीछे पंखा चला रहा था। सभी आगे-पीछे घूम रहे थे। “क्या लाऊँ? क्या सेवा करूँ?” कहते थकते नहीं थे समधी। इस प्रकार मंगलसेन की आवभगत श्रद्धा के साथ ठाटबाट से की गई।
प्रश्न 5.
बाबूजी सगाई में केवल सवा रुपए ही क्यों लेना चाहते थे?
उत्तर:
बाबूजी पुरानी रस्मों को बदलना चाहते थे। समधियों को दुःख देना नहीं चाहते थे। और वीरजी का भी यही मत था। बाबूजी शादी-ब्याह में पैसे बर्बाद करना नहीं चाहते थे। उनसे दिये गए सवाँ रुपया बाबूजी के लिए सवा लाख के बराबर था। इन चीजों में उनका विश्वास नहीं था। यदि कुछ लिया तो वसूल की बात होगी। इसलिए बाबूजी सगाई में केवल सवा रुपया ही लेना चाहते थे।
प्रश्न 6.
समधी अंदर से थाल में क्या-क्या ले कर आए?
उत्तर:
समधी अंदर से एक थाल ले आये और बाबूजी के सामने रख दिया। उस पर लाल रंग का रेशमी रूमाल बिछा था। बाबूजी ने रूमाल उठाया, तो नीचे चाँदी के थाल में चाँदी की तीन चमचम करती कटोरियाँ रखी थीं, एक में केसर, दूसरी में राँगला धागा, तीसरी में एक चमकता चाँदी का रुपया और चमकती चवन्नी। इसके अलावा तीनों कटोरियों में तीन छोटे-छोटे चाँदी के चम्मच रखे थे।
प्रश्न 7.
चम्मच खो जाने पर वीरजी की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
जब मंगलसेन बाबूजी के साथ वीरजी को सगाई लेकर जाते हैं, वहाँ समधी उसका आवभगत करते हैं। बहुत मना करने पर भी समधी बाबूजी को सगाई में तीन कठोरियां और तीन चम्मच और सवा रुपए देते हैं। वापस लौटने पर उसमें से एक चम्मच नहीं रहता है। यह सुनकर वीरजी को क्रोध होता हैं कि प्रभा द्वारा भेजा गया चम्मच मंगलसेन ने खो दिया है। मंगलसेन की तलाशी ली जाती है। और वीरजी की बहन उसका मजाक उडाती है। वीरजी सहसा सहसा आवेश में आकर, मंगलसेन के पास जाकर दोनों कंधों से पकड़कर झिंझोड़ कर कहते हैं “आपको इसीलिए भेजा था
कि आप चीजें गँवा आयें?”
प्रश्न 8.
“खून का रिश्ता’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
‘खून का रिश्ता’ कहानी में भीष्म साहनी जी ने सगाई की रस्म, रिश्तेदारों की अहमियत, सगाई में सवा रुपये लेना, आतिथ्य-सत्कार आदि घटनाओं का सजीव चित्रण किया है। वर्तमान परिवेश में कहानी अत्यंत प्रासंगिक है। आज के चकाचौंध भरे माहौल में सरल विवाह की महत्ता तथा खून के रिश्तों एवं पारिवारिक रिश्तों को निभाने पर बल देने के उद्देश्य से यह कहानी सफल कहानी है।
अतिरिक्त प्रश्नः
प्रश्न 9.
चाचा मंगलसेन का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
मंगलसेन वीरजी के रिश्ते में चाचा लगते थे। वे सेवानिवृत फौजी थे और अब बुढ़ापे में वीरजी के घर में टिके हुए थे। वीरजी के बाबूजी अपने भाई का अपमान करते रहते थे। मंगलसेन को गरीबी और लाचारी ने एक हास्यास्पद व्यक्ति में तब्दील कर दिया था।
प्रश्न 10.
वीरजी की सगाई में जाने की बात सुनकर मंगलसेन की प्रतिक्रिया कैसी थी?
उत्तर:
मंगलसेन को जब मालूम हुआ कि वह वीरजी की सगाई में बाबूजी के साथ जाएगा वह सोचने लगा – क्यों न हो, आखिर मुझसे बड़ा संबंधी है भी कौन? मुझे नहीं ले जायेंगे तो किसे ले जायेंगे? मैं और बाबूजी ही इस घर के कर्ता-धर्ता हैं और कौन हैं?
खून का रिश्ता लेखक परिचयः
हिन्दी साहित्याकाश में भीष्म साहनी का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। आपका जन्म 8 अगस्त 1915 ई. को रावलपिंडी में हुआ। आपके पिता का नाम हरवंशलाल था। आपने मास्को के विदेशी भाषा प्रकाशन गृह में सन् 1957 से 1963 तक अनुवादक के रूप में काम किया। आप दिल्ली कॉलेज में अंग्रेजी के वरिष्ठ प्रवक्ता के पद पर कार्यरत रहे। आपकी विचारदृष्टि राष्ट्रीय और समाजपरक थी। आपने अपनी कहानियों में निम्न मध्यवर्गीय परिवारों की कुण्ठाओं, निराशा, घुटन, असंगतियों का स्वाभाविक तथा प्रभावशाली चित्रण प्रस्तुत किया है। आपकी सामाजिक दृष्टि स्वस्थ तथा स्पष्ट है। आपकी मृत्यु 11 जुलाई 2003 ई. को हुई।
आपकी प्रसिद्ध कहानियों में – ‘माता-विमाता’, ‘बीवर’, ‘सिर का सदका’, ‘प्रोफेसर’, ‘अपने-अपने बच्चे’, ‘खून का रिश्ता’, ‘चीफ की दावत’ आदि शामिल हैं। ‘तमस’ आपका बहुचर्चित उपन्यास है।
कहानी का आशयः
प्रस्तुत कहानी में भीष्म साहनी ने सगाई की रस्म, रिश्तेदारों की अहमियत, वीरजी का सवा रुपये में ही सगाई पर बल देना, मंगलसेन को अपनी हैसियत पर नाज होना, मंगलसेन को अंततः सगाई में ले जाना, उसका आतिथ्य-सत्कार, एक चम्मच का खो जाना, वीरजी का क्रोध प्रकट करना, मंगलसेन के साथ दुर्व्यवहार, प्रभा के भाई द्वारा चम्मच का वापस ला कर देना आदि घटनाओं का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है। वर्तमान परिवेश में यह कहानी अत्यंत प्रासंगिक है और कहानी तत्वों पर भी यह खरी उतरती है।
आज के चकाचौंध भरे माहौल में सरल विवाह की महत्ता तथा खून के रिश्तों एवं पारिवारिक रिश्तों को निभाने पर बल देने के उद्देश्य से इस कहानी का चयन किया गया है।
खून का रिश्ता Summary in Hindi
भीष्म साहनी हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार हैं। उनकी कहानियों में मध्यमवर्गीय परिवारों के सुख-दुःख, राग-द्वेष का यथार्थ चित्रण हुआ है। ‘खून का रिश्ता’ में एक गरीब, असहाय रिश्तेदार के साथ निर्दय व्यवहार किये जाने का चित्रण है। धन-दौलत के सामने रिश्ते का कोई मूल्य नहीं होता। यही कटु सत्य इस कहानी में प्रकट हुआ है।
वीरजी पढ़ा-लिखा, नौकरीपेशा नौजवान है। उसकी सगाई प्रभा नामक एक सुशील, पढ़ीलिखी युवती से होनेवाली थी। वीरजी एक आदर्शवादी व्यक्ति था। वह धन-दौलत का लोभी नहीं था। वह सिद्धान्तों का पक्का था। वह अपने पिता से कहता है कि वे केवल सवा रुपये का शगुन लेकर रिश्ता पक्का करके आवें। लेकिन पिताजी दहेज के रूप में बड़ी रकम लेना चाहते थे। किन्तु अन्त में बेटे की बात से विवश होकर, सवा रुपये का शगुन लेने के लिए तैयार हो गए।
उनके घर में मंगलसेन नामक दूर का रिश्तेदार रहता था। वह एक सेवानिवृत्त फौजी था। वह इसी घर में इनकी दया से रहता था। वह घर का काम-काज करते हुए अपना गुजारा करता था। मंगलसेन की गरीबी और लाचारी ने उसे एक हास्यास्पद व्यक्ति बना दिया था।
वीरजी की सगाई के कार्यक्रम में उसके पिता मंगलसेन को अपने साथ होनेवाले समधी के घर ले जाना चाहते थे। मंगलसेन को अच्छे कपड़े पहनाकर वीरजी के पिता ले जाते हैं। प्रभा के माँ-बाप ने इनकी खूब आव-भगत की। लड़की वालों ने इनका आदर-सत्कार इतना किया कि मंगलसेन हवा में तैरने लगा। उसने लड़की के बारे में ढेर सारे सवाल किए। जब कि वीरजी के पिता चुप थे। लड़की वालों ने तीन चाँदी की कटोरियों में तीन चाँदी के चम्मच तथा सवा रुपये का शगुन दिया। वीरजी के पिता लड़की वालों के व्यवहार से खुश होकर, आनंद के साथ घर लौटे।
घरवाले इन्हीं का इन्तजार कर रहे थे। इनके घर आते ही, लड़की वालों के यहाँ से लाये तोहफे देखने के लिए टूट पड़े। तीन चम्मचवाली चाँदी की कटोरियाँ देखकर खुशी से सब लोग नाच उठे, लेकिन दो ही चम्मच थे। घर के सब लोग मंगलसेन को दोषी ठहराने लगे। मंगल चाचा ने कहा, तीन चम्मच तो देखे थे। लेकिन दो ही चम्मच देखकर उसे भी आश्चर्य हो रहा था। पर बाबूजी ने उसके कोट, कुर्ते की जेबें तलाश करने की आज्ञा दी। ऐसा ही किया गया परन्तु कुछ भी उनके हाथ नहीं लगा। सभी चिंतित थे।
इतने में प्रभा का छोटा भाई आकर चाँदी का एक चम्मच उन्हें देकर उल्टे पाँव चला गया। घरवालों को तसल्ली हुई। लेकिन बेचारे गरीब मंगलसेन पर आरोप लगानेवालों को उनका ध्यान ही नहीं आया।
खून का रिश्ता Summary in Kannada
खून का रिश्ता Summary in English
Bhisham Sahni is a noted Hindi story writer. His writings generally depict the life and emotions of middle-class people and their families. In this story, the unfair and merciless treatment of a poor and helpless relative is depicted. This story shows us that in the face of riches or wealth, relationships hold no value. This is the bitter truth that this story presents us with.
Veerji was a well-educated and employed youth. He was about to be engaged to a bright, educated young girl named Prabha. Veerji was a model person. He was not greedy for riches or wealth. He was a man of principles. He told his father to only accept one and a half rupees as a token offering in order to confirm the engagement. The father, however, wanted to take a large amount of money as dowry. Finally, bowing to his son’s wishes, the father agrees to accept only a token amount of one and a half rupees.
There lived, in the house of Veerji, a distant relative by name Mangalsen. He had retired from the armed forces. He lived in that house by the grace of the members of the household. He would do all the household chores and make his living. Mangalsen’s poverty and helplessness had made him an object of ridicule.
Veerji’s father decided to take Mangalsen with him to the girl’s (Prabha) house when he would go to confirm Veerji’s engagement. Mangalsen dressed in good clothes and accompanied Veerji’s father. Prabha’s mother and father were very hospitable to Mangalsen. He asked a lot of questions about Prabha, whereas Veerji’s father was silent. Prabha’s family gave a set of three silver cups and three silver spoons along with one and a half rupees as ‘shagun’ – a gift from the bridegroom’s side as a confirmation of the engagement. Veerji’s father was very pleased with the respect given to them by the bride’s family and returned home happy.
The members of Veerji’s household were awaiting the return of Veerji’s father and Mangalsen. As soon as they returned home, the family members began to go through the gifts sent by Prabha’s family. The family was very happy to see the three silver cups with spoons, but however, there were only two spoons. All the members of the household accused Mangalsen of stealing one of the silver spoons. Mangalsen said that he had also seen three spoons but did not know where one had gone. Even he was surprised to find only two spoons. However, Veerji’s father instructed that Mangalsen’s coat and the pockets of his kurta be searched. This was done, but the spoon was not found. Everyone became worried.
Just then, Prabha’s younger brother arrived and after giving them the silver spoon which they had left behind, returned immediately. Veerji’s family was happy. But none of the people who had accused Mangalsen of stealing the spoon thought how the poor old Mangalsen would have felt.
कठिन शब्दार्थः
- खाट – चारपाई;
- तर्जनी – अंगूठे के पास की उँगली;
- झुरझुरी – कँपकँपी;
- लरजिश – काँपना;
- ताक – आला;
- तुनकना – रूठना;
- पालागन – चरण छूना;
- झेंपना – शरमाना;
- भींचना – होंठ दबा लेना;
- नुक्कड – मकान, गली आदि का मोड;
- दुत्कारना – फटकारना;
- हुलास – उल्लास, आनंद;
- रुसवा – रूठना;
- धूमिल – धुंधलापन;
- उद्वेलित होना – उत्तेजित होना;
- जंगला – चौखट;
- देहली – Sil
- सलीका – अच्छा व्यवहार;
- विचलित होना – घबरा जाना;
- झिंझोड़ना – हिलाना;
- लिहाज – इज्जत करना;