2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 10 हो गई है पीर पर्वत-सी

   

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Karnataka 2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 10 हो गई है पीर पर्वत-सी

2nd PUC Hindi Workbook Answers पद्य Chapter 10 हो गई है पीर पर्वत-सी

I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर: दीजिए।

प्रश्न 1.
कवि दुष्यन्त कुमार के अनुसार जनता की पीड़ा किसके समान है?
उत्तर:
कवि दुष्यन्त कुमार के अनुसार जनता की पीड़ा पर्वत के समान है।

प्रश्न 2.
पीर पर्वत हिमालय से क्या निकलनी चाहिए?
उत्तर:
परि पर्वत हिमालय से गंगा निकलनी चाहिए।

प्रश्न 3.
दीवार किसकी तरह हिलने लगी?
उत्तर:
दीवार परदों की तरह हिलने लगी।

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प्रश्न 4.
कवि के अनुसार क्या शर्त थी?
उत्तर:
कवि के अनुसार शर्त यह थी कि बुनियाद हिलनी चाहिए।

प्रश्न 5.
पीड़ित व्यक्ति को किस प्रकार चलना चाहिए?
उत्तर:
पीड़ित व्यक्ति को हाथ लहराते चलना चाहिए।

प्रश्न 6.
कवि का क्या मकसद नहीं है?
उत्तर:
सिर्फ हंगामा खड़ा करना कवि का मकसद नही है।द

प्रश्न 7.
सीने में क्या जलनी चाहिए?
उत्तर:
सीने में आग जलनी चाहिए।

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II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
‘हो गई पीर पर्वत-सी’ गज़ल में पाठकों को क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
कवि कह रहे हैं कि सामान्य मनुष्य पर जो अन्याय और अत्याचार हो रहे हैं उसके खिलाफ अब आवाज़ उठानी चाहिए। दुःख, दर्द का पहाड़ खड़ा हुआ है, अब उसे हटाना ही होगा। पुरानी परंपरा, रीति-रिवाज़, व्यवस्था सब में परिवर्तन लाना होगा। यह सब ऊपरी तौर पर नहीं, सिर्फ शब्दों से, बातों से हंगामा खड़ा करना उनका मकसद नहीं है। वे क्रांति पर विश्वास करते हैं। सीने में जो आग लगी है, उसे अब बुझने नहीं देना है।

प्रश्न 2.
पीडित व्यक्ति की संवेदना को कवि दुष्यन्त कुमार ने किस प्रकार व्यक्त किया है?
उत्तर:
कवि पीड़ित व्यक्ति की संवेदना को जानते हैं। अब दुःख, दर्द, पीड़ा की हद हो गई है। दुःख के हिमालय को अब पिघलना ही होगा। जैसे हिमालय से गंगा निकलती है वैसे. दुःख की राह निकलनी चाहिए। जो आग मेरे दिल में लगी है वहीं आग बहुतों के दिल में लगी है। अन्याय और अत्याचार की इस आग को अब बुझाना ही है। अब चुप बैठना नहीं है। इस तरह कवि ने अपनी संवेदना व्यक्त की है।

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III. ससंदर्भ भाव स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 1.
हर सडक पर, हर गली में हर नगर हर गाँव में हाथ लहराते हुए, हर लाश चलनी चाहिए।
उत्तर:
प्रसंग : यह कविता ‘हो गई पर्वत पीर सी’ ले ली गई है। इसके कवि है दुष्यन्त कुमार।।

व्याख्या : यह जंग, यह संग्राम एक मनुष्य मात्र का नही। यह बदलाव, यह विचारों की क्रांति हर गाँव, हर गली, हर सड़क तक पहुँच जाए। हर एक जन मानसतक पहुँच जाएँ ऐसी लहर जो लाश
जैस सोये हुए हर इन्सान में जान भर दे। उससे यह चेतना और आग भर दे।

प्रश्न 2.
मेरे सीने में नही तो तेरे सीने मे सही, हों कही भी आग लोकिन आग जलनी चाहिए।
उत्तर:
प्रसंग : यह कविता ‘हो गई पर्वत पीर सी’ ले ली गई है। इसके कवि है दुष्यन्त कुमार।

व्याख्या : कवि यहाँपर कह रहे है कि क्रांतिकी यह ज्वाला जलती रहनी चाहिए मेरे दिल में न सही लेकिन यह आग बुझनी नही चाहिए। एक बार जो आग लगेगी-अन्याय, अत्याचार के विरोध में वह तब तक न बुझे जबतक उसका कोई हल न मिले। कोई समझौता नही, यह आग तभी शांत होगी जब अन्याय अनाचार मिट जाए। तब तक हरएक के दिल में यह आग जलती रहनी चाहिए।

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