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कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती Questions and Answers, Notes, Summary
अभ्यास
I. एक वाक्य में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
किससे डरकर नौका पार नहीं होती ?
उत्तर:
लहरों से
प्रश्न 2.
किनकी हार नहीं होती है ?
उत्तर:
कोशिश करनेवालों की
प्रश्न 3.
दानी लेकर कौन चलती है ?
उत्तर:
नन्हीं चींटी दाना
प्रश्न 4.
चींटी कहाँ चढती है?
उत्तर:
दीवारों पर
प्रश्न 5.
किसकी मेहनत बेकार नहीं होती ?
उत्तर:
चींटी की
प्रश्न 6.
सागर में डुबकियाँ कौन लगाता है ?
उत्तर:
गोताखोर
प्रश्न 7.
मोती कहाँ मिलता है?
उत्तर:
सागर में मोती गहरे
प्रश्न 8.
किसकी मुटठी खाली नहीं होती ?
उत्तर:
प्रयास (कोशिश) करनेवालों की
प्रश्न 9.
किसको मैदान छोडकर भागना नहीं चाहिए ?
उत्तर:
संघर्ष करनेवालों को
प्रश्न 10.
कुछ किए बिना ही क्या नहीं होती है ?
उत्तर:
कुछ किए बिना ही जयजयकार नहीं होती।
II. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:
प्रश्न 1.
चीटी के बारे में कवि क्या कहते है ?
उत्तर:
चींटी जब दाना लेकर चलती है तो दीवार पर चढ़ते हुए सौ बार फिसलती है। लेकिन फिर भी वह हार नहीं मानती। आखिर में वह सफल होती है।
प्रश्न 2.
गोताखोर के बारे में कवि के विचार क्या है ?
उत्तर:
गोताखोर कई बार डुबकियाँ लगाने पर भी खाली हाथ लौट आता है। लेकिन उसका उत्साह दुगना हो जाता है। उसकी मुट्ठी में मोती अवश्य आते हैं।
प्रश्न 3.
असफलता से सफलता की ओर जाने के बारे में कवि क्या कहते है ?
उत्तर:
असफलता से सफलता की ओर जानेवाले के बारे में कवि का यह कहना है कि असफलता एक चुनौती है उसे स्वीकार करें । साहस और विश्वास के साथ उसका सामना करें । जब तक सफलता हासिल न हो तब तक कोशिश करनी चाहिए ।
III. जोडकर लिखिए :
1. लहर | 1. नौका |
2. चींटी | 2. दाना |
3. गोताखोर | 3. डुबकियाँ |
4. असफलता | 4. चुनौती |
5. कमी | 5. सुधार |
IV. भावार्थ लिखिए:
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढती दीवारों पर सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढकर गिरना, गिरकर चढना न अखरता है।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करनेवालो की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी ……….. हार नहीं होती।
कवि – सोहनलाल दविवेदी
कविता – कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती भावार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में कवि यह कहना चाहते है कि नन्ही चींटी दाना लेकर जब दीवार पर चढने का प्रयास करती है तब सौ बार फिसलती है, मगर वह हार नहीं मानती । लगातार कोशिश करती रहती है और दीवार पार कर जाती है । ठीक उसी प्रकार हमें जीवन में
आनेवाले संघर्ष से डरकर भागना नहीं चाहिए । लगातार प्रयासों के साथ मुकाबल कर जीत हासिल करनी चाहिए।
V. उदाहरण के अनुसार तुकांत शब्दों को पहचानकर लिखिए :
उदा : पार – हार
- चलती चढती
- भरता अखरता
- लगाता आता
- बार हार
- स्वीकार सुधार
VI. सफलता प्राप्त करने से संबंधित शब्दों पर गोला लगाइए :
VII. दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर ‘परिश्रम’ पर लघु लेख तैयार कीजिए :
जीवन एक संघर्ष है । इस संघर्ष से हार मानकर मनुष्य को भागना नहीं चाहिए । जीवन में आनेवाले हर उतार-चढाव को साहस के साथ पार करना चाहिए । कभी-कभी हमें असफलता का सामना भी करना पड़ता है । उसे चुनौती समझकर उत्साह के साथ स्वीकार कर आगे बढना है। खाली-हाथ बैठकर हताश होने से कुछ हासिल नहीं होगा । कठिनाइयों को भी सहजता से स्वीकार करलेना चाहिए । जब तक हमें सफलता हासिल नहीं होती है तब तक हमें नींद-चैन को छोडकर लगातार मेहनत करनी चाहिए । कोशिश करनेवालों की कभी हर नही होती।
VIII. कविता की अंतिम पंक्तियों को कंठस्थ करके लिखिए :
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई , देखो और सुधार करो ।
जबतक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोडकर मत भागो तुम ।
कुछ किडा बिना ही जय-जयकार नही होती,
कोशिश करनेवालों की कमी हार नहीं होती ।
IX. अनुरुपती:
- मेहनत : परिश्रम :: कोशिश : प्रयास
- चढना : उतरना :: हारना : जीतना
- स्वीकार : इन्कार :: चैन : बेचैन
- सिंधु : समुद्र :: हाथ : कर
कविता की आगे –
- प्रस्तुत कविता की निम्नलिखित कविता की पक्तियो से तुलना कीजिए :
पर्वत की चोटी छूते को
पर्वत पर चढना पड़ता है।
सागर से मोती लाने को
गोता लगाना ही पड़ता है।
उद्यम किए बिना तो चींटी
भी अपना घर बना न पाती ।
उद्यम किए बिना तो सिंह को
भी अपना शिकार मिल न पाता ।।
- खेल, कला, सिनेमा, चिकित्सा, विज्ञान इत्यादि कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त किए हुए व्यक्तियों की सूची तैयार कीजिए:
क्र.सं. | कार्यक्षेत्र | सफलता प्राप्त व्यक्तियों के नाम |
1. 2. 3. 4. 5. |
क्रिकेट कला सिनेमा चिकित्सा विज्ञान साहित्य |
सचिन तेंडूलकर राजारविवर्मा डॉ. विष्णुवर्धन डॉ. देवी शेट्टी डॉ. सी.एन्.आर. राव डॉ. चंद्रशेखर कंबार |
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती Summary in Hindi
कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती कवि परिचय:
सोहनलाल द्विवेदी जी हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि हैं। आपका जन्म 23 फरवरी सन् 1906 को हुआ। आपने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एम.ए., एल.एल.बी. की डिग्री ली और आजीविका के लिए जमींदारी तथा बैंकिंग का काम करते रहे। सन् 1938 से सन् 1942 तक आप राष्ट्रीय पत्र दैनिक अधिकार’ के संपादक थे। कुछ वर्षों तक आपने अवैतनिक (बिना वेतन के) बाल पत्रिका ‘बाल-सखा’ का संपादन भी किया। आप महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित थे।
स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देशभक्ति व ऊर्जा से ओतप्रोत आपकी रचनाओं की विशेष सराहना हुई तथा आपको ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि से अलंकृत किया गया। सन् 1988 में राष्ट्रकवि द्विवेदी जी का देहांत हो गया। आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं – ‘भैरवी’, ‘वासवदत्ता’, ‘कुणाल’, ‘पूजागीत’, ‘विषपान’, ‘युगाधार’ और ‘जय गांधी’। ‘बाँसुरी’, ‘झरना’, ‘बिगुल’, ‘बच्चों के बापू’, ‘दूध बताशा’, ‘बाल भारती’, ‘शिशु भारती’, ‘नेहरू चाचा’, ‘सुजाता’, ‘प्रभाती’ आदि आपका प्रमुख बाल-साहित्य है।
कविता का आशय :
इस कविता में कोशिश करने से सफलता प्राप्त करने का संदेश मिलता है। कवि कहते हैं कि जीवन की प्रतियोगिता में असफलता से विमुख न होते हुए अपनी कमियों को खुद पहचानकर स्वप्रयत्न से लगातार आगे बढ़ने से हार कभी नहीं होती है।
कविता का सारांश:
1) लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती।
सतत प्रयत्नशील व्यक्ति को निश्चित रूप से जीत मिलती है। जीवन की प्रतियोगिता में असफलता से विमुख नहीं होकर लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए। कवि कहते हैं – लहरों से डरकर नौका कभी भी सागर को पार नहीं कर सकती। लहरों से उसे टकराना ही पड़ता है। छोटी सी चींटी जब दाना लेकर दीवार पर चढ़ती है तो सौ बार गिरती है लेकिन वह हार नहीं मानती है। आत्मविश्वास के कारण उसकी मेहनत रंग लाती है और वह दीवार पर चढ़ने में सफल होती है। क्योंकि कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं हो सकती।
2) डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जाकर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती।
गोताखोर जब समुद्र में मोती के लिए गोता लगाता है तो कई बार खाली हाथ ही लौटकर आता है। लेकिन उसका उत्साह कम नहीं होता बल्कि दुगना हो जाता है। उसकी मुट्ठी में मोती जरूर लगते है क्योंकि कोशिश करने वाला असफल नहीं हो सकता।
3) असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम।
कुछ किए बिना ही जय-जयकार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता से घबराना नहीं चाहिए। असफलता को एक चुनौती के रूप में लेना चाहिए। अपनी कमियों की तरफ़ ध्यान देना चाहिए। जब तक सफलता नहीं मिल जाती सुख चैन नहीं लेना चाहिए। संघर्ष का मैदान कभी नहीं छोड़ना चाहिए। दुनिया में उनकी ही जय होती है जो कुछ करके दिखाते हैं। कोशिश करने वाले कभी हारते नहीं है। सफलता अवश्य मिलती है।
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती Summary in English
Continuous efforts lead to success and there is no fear of failure Summary in English:
Sri Sohanlal Dwivedi is one of the famous poets of Hindi. By giving simple examples of life he has expressed that continuous and constant efforts ensure success and there is no fear of defeat.
The poet conveys the message that constant efforts ensure success by giving simple line examples. He gives the example of ants who carry food, slips several times from the wall but reach the destination without fail. Similarly, sea divers dive into the sea in search of precious pearls and return empty-handed. But by repeated efforts will be successful in securing precious pearls.
Hence, the poet calls for constant efforts to achieve success and warns people against running away from their goal out of fear of failure. Thus the poet conveys that continuous efforts lead to success and there cannot be fear of failure.